डॉ डी के सुनील ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक एवं आईआईटी, मद्रास से एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में एम.टेक प्राप्त की है । उन्होंने वर्ष 2019 में यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में पीएच.डी भी पूरी की है ।
उनकी नियुक्ति वर्ष 1987 में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में हुई, और उन्हें विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों में लगभग 33 वर्षों का अनुभव है ।
वर्ष 1993 में, उन्होंने हलका लड़ाकू विमान हेतु पहले एयरबोर्न रेडियो के प्रमाणन में शामिल थे, जिसकी उड़ान सफलतापूर्वक संपन्न हुई । वे वर्ष 2000 में मिग-21 उन्नयन कार्यक्रम हेतु पहली सेक्यूर रेडियो निर्माण करनेवाली टीम में थे, जिसका रूस में सफलतापूर्वक प्रमाणन संपन्न हुआ और तदनंतर बड़ी संख्या में उत्पादन भी किया गया ।
वर्ष 2005 में, उन्हें एएलएच पर आयातित रेडियो सिस्टम को पुनःस्थापित करने की चुनौती दी गई और वर्ष 2010 में एसीएस 235 सेक्यूर रेडियो को अभिकल्पित तथा उत्पादित किया गया और आज यह थलसेना की एएलएच बेड़े का मुख्य आधार है ।
वे एसएलआरडीसी में एवियॉनिक्स उपस्कर के लिए अभिकल्पित किए जानेवाले पाँचवीं पीढ़ी लड़ाकू विमान के लिए कार्यक्रम प्रबंधक थे । इनके नेतृत्व में, नई प्रौद्योगिकियाँ जैसे हाई पावर रेडार पावर सप्लाई, वायस एक्टिवेटेड कंट्रोल सिस्टम, कम्बाइन्ड इंटेरोगेटर ट्रांसपांडर विकसित की गईं, जो कंपनी के नए विकास क्षेत्र बन गए । इन्होंने डाटा लिंक के लिए आईआईटी कानपुर एवं वायस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के लिए आईआईआईटी हैदराबाद के साथ संबद्ध कार्य में भी अग्रणी भूमिका निभायी ।
वर्ष 2016 में इन्होंने बेंगलूरु में मिशन कॉम्बैट सिस्टम्स आर एंड डी सेंटर में कार्यभार ग्रहण किया, जहाँ इन्होंने एलसीएच तथा हेलिकॉप्टर एवं लड़ाकू प्लेटफार्म के लिए मिशन कंप्यूटर के लिए एक्टिव ईएसए रेडार, स्वचालित उड़ान नियंत्रण प्रणाली हेतु कार्यरत टीम का नेतृत्व किया । पहली बार देश में स्वदेशी रूप से एलसीएच के लिए उड़ान नियंत्रण प्रणाली विकसित किया जा रहा था एवं उड़ान संरक्षा संबंधी मुद्दे भी सर्वोपरि थे । इन्हें लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एचएएल के चारों आर एंड डी केंद्रों के प्रयासों के समन्वयन का विशिष्ट अनुभव है ।
विगत कुछ वर्षों से, इन्होंने इंजन कंट्रोल सिस्टम, डिजाइन प्रोस्पेक्टिव प्लान एवं आईआईटी के साथ सहयोग सुधारने और नई प्रौद्योगिकियों हेतु स्टार्टअप जैसे नए क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे थे । उन्होंने एयरक्राफ्ट एवं हेलिकॉप्टर के लिए प्रणाली स्तर पर के साथ उपस्कर स्तर पर अभिकल्पन परियोजनाओं का नेतृत्व किया है । उनके अनुभव में एचएएल के अभिकल्प केंद्रों में किए जा रहे एलआरयू से एयरक्राफ्ट स्तर तक के अभिकल्पन कार्यकलापों की पूरी रेंज शामिल है ।
इन्होंने पीयर रिव्यूड जर्नल में 7 शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं । उनके पास वायरलेस कम्यूनिकेशन से संबंधित 9 कॉपीराइट है । वे हिन्दुस्तान-डॉर्नियर 228 एयरक्राफ्ट के सर्टिफिकेशन में डीजीसीए की बाह्य विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी रहे हैं ।
निदेशक (इंजी. एवं आर एंड डी) के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले, डॉ डी के सुनील ने हैदराबाद में महाप्रबंधक (एसएलआरडीसी) का पद संभाल रहे थे ।
कंपनी के किसी भी अन्य निदेशकों से इनका कोई संबंध नहीं हैं तथा कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है।
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