नेतृत्व
नेतृत्व
  • पूर्णकालिक निदेशक
  • अंशकालिक सरकारी निदेशक
  • स्वतंत्र निदेशक
  • कंपनी सचिव
  • मुख्य कार्यपालक अधिकारी
श्री सी बी अनंत कृष्णन
निदेशक (वित्त) एवं मुख्य वित्त अधिकारी अतिरिक्त के साथ अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक का प्रभार


श्री सीबी अनंतकृष्णन का जन्म 29 अगस्त 1964 को हुआ तथा उन्हें 1 अगस्त, 2018 से हमारी कंपनी के निदेशक (वित्त) के रूप में नियुक्त किया गया । निदेशक (वित्त) के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले, वे हमारे अधिशासी निदेशक (वित्त) के पद पर थे । इन्होंने इस कंपनी में 31 मार्च 2004 को मुख्य प्रबंधक (वित्त) के रूप में कार्यभार ग्रहण कर सेवा प्रारंभ की तथा विभिन्न पदों पर कार्य किया । इन्होंने  चेन्नई के लोयोला कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, मद्रास विश्वविद्यालय से वित्त में एमबीए और वे कॉस्ट एवं मैनेजमेंट लेखाकार रहे । सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में उनके पास व्यापारिक बैंकिंग, फार्मास्यूटिकल्स, उर्वरक, एयरोस्पेस उद्योग में स्टंट के साथ 30 से अधिक वर्षों का कार्य अनुभव है और हमारी कंपनी में विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे हैं। वे एचएएल के तीन संयुक्त उद्यम बोर्ड में एचएएल के नामिती निदेशक भी हैं।
    
इन्होंने मार्च 2018 के दौरान एचएएल के प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) में सक्रिय भूमिका निभाई। मूल्य निर्धारण में व्यापक अनुभव होने के कारण, इन्होंने सशस्त्र बलों को 159 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति सहित एचएएल के प्रमुख हेलीकॉप्टर अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।
 
श्री जयदेव ई.पी.
निदेशक (प्रचालन) अतिरिक्त प्रभार के साथ निदेशक (एचआर)

श्री जयदेव ई.पी. ने विश्वेश्वरय्या कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्री प्राप्त की एवं आईआईटी मद्रास से एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन इंजीनियंरिंग में मास्टर्स  किया ।
 
इन्होंने वर्ष 1987 में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में कार्यभार ग्रहण किया तथा इनके पास विनिर्माण, एसेंब्ली, ओवरहॉल, उन्नयन, ग्राहक सहायता, स्वदेशीकरण एवं अन्य प्रबंधन कार्यों में लगभग 33 वर्षों का अनुभव है । इन्होंने ओवरहॉल प्रभाग, एयरक्राफ्ट प्रभाग, एलसीए तेजस प्रभाग एवं मुख्यालय जैसे विभिन्न प्रभागों/ कार्यालयों में कार्य किया । इनको नए लड़ाकू विमान के विनिर्माण, ओवरहॉल एवं अपग्रेड संबंधी परियोजना के प्रारंभ से लेकर निष्पादन चरण तक अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है । नैगम योजना (कॉरपोरेट प्लानिंग) में अपने कार्यकाल में इन्होंने कंपनी की भावी योजनाओं को तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है । इन्होंने ओवरहॉल प्रभाग में किरण, हॉक एवं मिराज विमान हेतु रिपेयर एवं ओवरहॉल एवं उन्नयन सुविधाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की । इन्होंने ओवरहॉल एवं अपग्रेड श्रृंखलाओं के लिए अधिक मूल्य ग्राउंड सपोर्ट एक्विपमेंट/ ग्राउंड हैंडलिंग एक्विपमेंट को स्वदेशी रूप से विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी । इन्होंने एचएएल के दो (2) संयुक्त उद्यमों के लिए निदेशक के रूप में सेवा भी की है ।
 
निदेशक (प्रचालन) के रूप में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व, श्री जयदेव महाप्रबंधक, एलसीए तेजस प्रभाग, बेंगलूर के रूप में कार्यरत थे । उनके कार्यकाल के दौरान, प्रभाग ने सतत रूप से विकास किया एवं वर्ष 2021-22 के दौरान 8 विमानों के उत्पादन को प्राप्त किया । इन्होंने भारतीय उद्योगों से संरचनात्मक एसेंब्ली के स्ट्रैटेजिक आउटसोर्सिंग के साथ महत्त्वपूर्ण कदम उठाया था, जिससे आगे विकास के लिए सहायता मिली । इन्होंने हलका लड़ाकू विमान (एलसीए) के संबंध में प्रतिवर्ष 16 विमानों तक उत्पादन दर को दुगुना करने के लिए उत्पादन गुणवत्ता संवर्धन पहल एवं क्षमता संवर्धन प्रक्रियाओं को प्रारंभ किया एवं एलसीए के लिए सफलतापूर्वक द्वितीय उत्पादन की स्थापना की ।
 
श्री जयदेव ने फरवरी 2021 के दौरान भारतीय वायुसेना (आईएएफ) से 83 एलसीए एमके 1ए संविदा को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया । इस संविदा को बृहत “मेक इन इंडिया” रक्षा संविदा के रूप में पहचाना गया एवं यह भारत में रक्षा पारिस्थितिकी की वृद्धि में सहायक होगी ।
 
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निदेशक (इंजीनियरिंग और अनुसंधान एवं विकास)

डॉ डी के सुनील ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक एवं आईआईटी, मद्रास से एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में एम.टेक प्राप्त की है । उन्होंने वर्ष 2019 में यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से इलेक्ट्रॉनिक्स साइंस में पीएच.डी भी पूरी की है ।

उनकी नियुक्ति वर्ष 1987 में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में हुई, और उन्हें विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों में लगभग 33 वर्षों का अनुभव है ।  

वर्ष 1993 में, उन्होंने हलका लड़ाकू विमान हेतु पहले एयरबोर्न रेडियो के प्रमाणन में शामिल थे, जिसकी उड़ान सफलतापूर्वक संपन्न हुई । वे वर्ष 2000 में मिग-21 उन्नयन कार्यक्रम हेतु पहली सेक्यूर रेडियो निर्माण करनेवाली टीम में थे, जिसका रूस में सफलतापूर्वक प्रमाणन संपन्न हुआ और तदनंतर बड़ी संख्या में उत्पादन भी किया गया ।

वर्ष 2005 में, उन्हें एएलएच पर आयातित रेडियो सिस्टम को पुनःस्थापित करने की चुनौती दी गई और वर्ष 2010 में एसीएस 235 सेक्यूर रेडियो को अभिकल्पित तथा उत्पादित किया गया और आज यह थलसेना की एएलएच बेड़े का मुख्य आधार है ।
वे एसएलआरडीसी में एवियॉनिक्स उपस्कर के लिए अभिकल्पित किए जानेवाले पाँचवीं पीढ़ी लड़ाकू विमान के लिए कार्यक्रम प्रबंधक थे । इनके नेतृत्व में, नई प्रौद्योगिकियाँ जैसे हाई पावर रेडार पावर सप्लाई, वायस एक्टिवेटेड कंट्रोल सिस्टम, कम्बाइन्ड इंटेरोगेटर ट्रांसपांडर विकसित की गईं, जो कंपनी के नए विकास क्षेत्र बन गए । इन्होंने डाटा लिंक के लिए आईआईटी कानपुर एवं वायस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी के लिए आईआईआईटी हैदराबाद के साथ संबद्ध कार्य में भी अग्रणी भूमिका निभायी ।

वर्ष 2016 में इन्होंने बेंगलूरु में मिशन कॉम्बैट सिस्टम्स आर एंड डी सेंटर में कार्यभार ग्रहण किया, जहाँ इन्होंने एलसीएच तथा हेलिकॉप्टर एवं लड़ाकू प्लेटफार्म के लिए मिशन कंप्यूटर के लिए एक्टिव ईएसए रेडार, स्वचालित उड़ान नियंत्रण प्रणाली हेतु कार्यरत टीम का नेतृत्व किया । पहली बार देश में स्वदेशी रूप से एलसीएच के लिए उड़ान नियंत्रण प्रणाली विकसित किया जा रहा था एवं उड़ान संरक्षा संबंधी मुद्दे भी सर्वोपरि थे । इन्हें लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एचएएल के चारों आर एंड डी केंद्रों के प्रयासों के समन्वयन का विशिष्ट अनुभव है ।

विगत कुछ वर्षों से, इन्होंने इंजन कंट्रोल सिस्टम, डिजाइन प्रोस्पेक्टिव प्लान एवं आईआईटी के साथ सहयोग सुधारने और नई प्रौद्योगिकियों हेतु स्टार्टअप जैसे नए क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे थे । उन्होंने एयरक्राफ्ट एवं हेलिकॉप्टर के लिए प्रणाली स्तर पर के साथ उपस्कर स्तर पर अभिकल्पन परियोजनाओं का नेतृत्व किया है । उनके अनुभव में एचएएल के अभिकल्प केंद्रों में किए जा रहे एलआरयू से एयरक्राफ्ट स्तर तक के अभिकल्पन कार्यकलापों की पूरी रेंज शामिल है ।

इन्होंने पीयर रिव्यूड जर्नल में 7 शोध-पत्र प्रकाशित किए हैं । उनके पास वायरलेस कम्यूनिकेशन से संबंधित 9 कॉपीराइट है । वे हिन्दुस्तान-डॉर्नियर 228 एयरक्राफ्ट के सर्टिफिकेशन में डीजीसीए की बाह्य विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी रहे हैं ।
निदेशक (इंजी. एवं आर एंड डी) के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले, डॉ डी के सुनील ने हैदराबाद में महाप्रबंधक (एसएलआरडीसी) का पद संभाल रहे थे ।
कंपनी के किसी भी अन्य निदेशकों से इनका कोई संबंध नहीं हैं तथा कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है।
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श्री अतसी बरण प्रधान
निदेशक (मानव संसाधन)

श्री अतसी बरण प्रधान ने उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से रसायन विज्ञान (ऑनर्स) में स्नातक की डिग्री और कार्मिक प्रबंधन और श्रम कल्याण में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है । उन्होंने यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, भुवनेश्वर से बैचलर ऑफ लॉ (एलएलबी) की डिग्री भी हासिल की है ।

उन्होंने वर्ष 2005 में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में कार्यभार ग्रहण किया और उनके पास भारत के विभिन्न भागों में स्थित इंजीनियरिंग, मेटलर्जी, पेपर, एरोस्पेस और रक्षा से संबंधित विभिन्न उद्योगों के सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में मानव संसाधन से संबंधित कार्य में 35 वर्षों का समृद्ध और विविधतापूर्ण अनुभव है ।

उन्होंने अपने सेवा काल के दौरान आईटी-सक्षम मानव संसाधन प्रणालियों जैसे कार्मिक सूचना प्रणाली, निष्पादन प्रबंधन प्रणाली, ईआरपी, अन्य ऑन-लाइन मानव संसाधन इंटरवेंशन्स की शुरूआत आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । श्री प्रधान की कुछ प्रमुख उपलब्धियों में सामूहिक वार्ता के माध्यम से हासिल किए गए वेतन समझौतों की पर्याप्त संख्या, पीस रेट वेतन, मानक कार्य घंटों और ओवरटाइम में कमी और काइजेन और फुगई सहित टीपीएम अवधारणाओं की शुरूआत जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम से श्रमिकों की दक्षता में सुधार करना शामिल है । उन्होंने जहां भी आवश्यक हो, कॉन्ट्रैक्ट लेबर प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है और कैंटीन, परिवहन सेवाओं, टाउनशिप की सुरक्षा, गेस्ट हाउस के रखरखाव आदि जैसी गैर-प्रमुख मानव संसाधन गतिविधियों की आउटसोर्सिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।

श्री अतसी बरण प्रधान के पास औद्योगिक संबंधों, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर), वेतन संबंधी वार्ता और निपटान, सांविधिक अनुपालन और मानव संसाधन नीति निर्माण, जनशक्ति योजना, भर्ती और कैरियर विकास, कौशल विकास और प्रशिक्षण, कार्य-निष्पादन प्रबंधन, सुविधा प्रबंधन और कानूनी मामले जैसे मानव संसाधन कार्यों के संपूर्ण क्षेत्रों का व्यापक अनुभव है ।

निदेशक (मानव संसाधन) के रूप में पदभार संभालने से पहले, वे कार्यकारी निदेशक (मानव संसाधन) के पद पर थे ।

वे कंपनी के किसी भी अन्य निदेशक से संबंधित नहीं है और वे कंपनी का शेयर भी नहीं रखते है ।

श्री टी नटराजन
गैर-कार्यकारी निदेशक [सरकारी नामांकित व्यक्ति निदेशक]
श्री टी नटराजन ने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग गिंडी, अन्ना विश्वविद्यालय से माइनिंग इंजीनियरिंग में स्नातक और भारतीदेसन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भारतीदेसन विश्वविद्यालय से वित्त में एमबीए पूरा किया है। वे गुजरात कैडर के 1996 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं।

 श्री टी नटराजन ने भारत सरकार में आर्थिक मामलों, वित्त, राजस्व, मानव संसाधन विकास आदि से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया और कई सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निदेशक के रूप में भी कार्य किया । वे वर्तमान में रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव (रक्षा उत्पादन) के पद पर कार्यरत हैं ।

 कंपनी में किसी भी अन्य निदेशक से इनका कोई संबंध नहीं है एवं कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है।श्री टी नटराजन ने अन्ना
 
  विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग गिंडी से माइनिंग इंजीनियरिंग में स्नातक और भारतीदासन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भारतीदासन विश्वविद्यालय से वित्त में एमबीए पूरा किया है। वह गुजरात कैडर के 1996 बैच के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी हैं।
 
 श्री टी नटराजन ने भारत सरकार में आर्थिक मामलों, वित्त, राजस्व, मानव संसाधन विकास आदि से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया और कई सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वह वर्तमान में रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव (रक्षा उत्पादन) के पद पर हैं।
 
 वह कंपनी के किसी भी अन्य निदेशक से संबंधित नहीं है और कंपनी में कोई शेयर नहीं रखता है।
 
एम जेड सिद्दीकी
गैर - कार्यकारी निदेशक [सरकार द्वारा नामित निदेशक]
  श्री एम जेड सिद्दीकी, विशिष्ट वैज्ञानिक एवं महानिदेशक (एरोनॉटिकल सिस्टम), एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और इन्होंने वर्ष 1988 में इंस्टीट्यूट ऑफ आर्मामेंट टेक्नोलॉजी (आईएटी), पुणे से "गैस टर्बाइन टेक्नोलॉजी" संबंधी फेलोशिप कार्यक्रम पूरा किया है। इन्होंने 90 के दशक की शुरुआत में, एरो गैस टरबाइन इंजन कंपोनेंट परीक्षण एवं मूल्यांकन के संबंध में मेसर्स जनरल इलेक्ट्रिक, यूएसए में एक वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त किया ।

 श्री एम जेड सिद्दीकी ने वर्ष 1988 में वैज्ञानिक 'बी' के रूप में गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैब्लिशमेंट जीटीआरई, बेंगलूरु में कार्यभार ग्रहण किया और एक्सिल फ्लो कंप्रेसर सिस्टम्स के डिजाइन एवं परीक्षण से संबद्ध रहे । दिसंबर, 2007 में, उन्हें परियोजना निदेशक (कावेरी) के रूप में नियुक्त किया गया । इनके नेतृत्व में सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन मोटर्स (सीआईएएम), रूस में अल्टीट्यूड टेस्ट एवं ग्रोमोव फ्लाइट रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीएफआरआई), रूस में आईएल -76 विमान में कावेरी इंजन के फ्लाइंग टेस्ट बेड (एफटीबी) परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किया गया । इस उपलब्धि के लिए, इन्हें वर्ष 2010 में "आत्मनिर्भरता में उत्कृष्टता के लिए डीआरडीओ अग्नि पुरस्कार-टीम लीडर" से सम्मानित किया गया ।
 
श्री एम जेड सिद्दीकी को अगस्त 2015 में जीटीआरई के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया । जीटीआरई के निदेशक के रूप में, उन्होंने बहुआयामी भूमिकाएं निभाईं एवं देश में सैन्य गैस टर्बाइन इंजनों के डिजाइन व विकास के लिए उत्तरदायी रहें है। उनके नेतृत्व में, विभिन्न हवाई अनुप्रयोगों के लिए गैस टरबाइन प्रणालियों एवं प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास से संबंधित विभिन्न प्रौद्योगिकी निदर्शक एवं मिशन मोड परियोजनाएं प्रगति पर हैं । भारतीय शिक्षा संस्थानों, उद्योग एवं राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से देश की भावी एरो इंजन प्रोपाल्शन प्रौद्योगिकी आवश्यकताओं की दिशा में कई अनुसंधान परियोजनाएं की जा रही है। 
 
श्री एमजेड सिद्दीकी देश में गैस टर्बाइन से संबंधित अनुसंधान को आगे बढ़ाने वाली कई राष्ट्रीय अनुसंधान व विकास पहल के लिए प्रौद्योगिकी नेतृत्व मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं और वे इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एयर ब्रीथिंग इंजन (आईएसएबीई) के राष्ट्रीय प्रतिनिधि भी हैं । उन्होंने रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) के तहत सह-अध्यक्ष के रूप में जेट इंजन प्रौद्योगिकी के लिए भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य समूह में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया एवं भारत-अमेरिका महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पहल के विचार-विमर्श में भाग लिया। उन्होंने गैस टर्बाइन सक्षम प्रौद्योगिकी (गेट) कार्यक्रम का नेतृत्व किया, जो विमान इंजनों के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए भारतीय शिक्षा संस्थानों से संबद्ध एक महत्त्वपूर्ण अखिल भारतीय पहल है ।
 
श्री एमजेड सिद्दीकी को वर्ष 2022 में महानिदेशक (नेवल सिस्टम एंड मटीरियल्स) के रूप में नियुक्त किया गया । उन्होंने सोनार, एयर इंडिपेंडेंट प्रोपाल्शन, स्टेल्थ मैटीरियल, महत्वपूर्ण एवं उभरती एरोस्पेस सामग्री आदि से संबंधित कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया । वर्तमान में, वे सशस्त्र बलों के लिए अत्याधुनिक यूएवी, मानवयुक्त एवं मानवरहित विमान, एरो गैस टर्बाइन इंजन प्रौद्योगिकी, एयरबोर्न निगरानी प्रणाली, पैराशूट एवं हवा से हलके उपकरणों से संबंधित प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों के डिजाइन व विकास के उत्तरदायित्वों के साथ महानिदेशक के रूप में एरोनॉटिकल सिस्टम क्लस्टर प्रयोगशालाओं का भी नेतृत्व कर रहे है ।

 कंपनी में किसी भी अन्य निदेशक से इनका कोई संबंध नहीं है एवं कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है।श्री टी नटराजन ने अन्ना
 
  विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग गिंडी से माइनिंग इंजीनियरिंग में स्नातक और भारतीदासन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भारतीदासन विश्वविद्यालय से वित्त में एमबीए पूरा किया है। वह गुजरात कैडर के 1996 बैच के भारतीय प्रशासनिक अधिकारी हैं।
 
 श्री टी नटराजन ने भारत सरकार में आर्थिक मामलों, वित्त, राजस्व, मानव संसाधन विकास आदि से संबंधित विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य किया और कई सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निदेशक के रूप में भी कार्य किया। वह वर्तमान में रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में अतिरिक्त सचिव (रक्षा उत्पादन) के पद पर हैं।
 
 वह कंपनी के किसी भी अन्य निदेशक से संबंधित नहीं है और कंपनी में कोई शेयर नहीं रखता है।
 
गैर-सरकारी (स्वतंत्र) निदेशक
गैर-सरकारी (स्वतंत्र) निदेशक


डॉ. दिव्या गुप्ता को दिनांक 28 दिसंबर 2021 को हमारी कंपनी के बोर्ड में गैर-सरकारी (स्वतंत्र) निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है । यद्यपि, वे सामाजिक कार्यकर्ता एवं व्यावसायिक रूप से डॉक्टर हैं, इनके पास दो कंपनियों में निदेशक के रूप में नैगम कार्यों के प्रबंधन में 36 वर्षों से भी अधिक का अनुभव है, जिसमें उन्होंने निर्णय लेने के प्रक्रिया में स्वयं को शामिल किया है तथा पणधारियों की धनराशि को बढ़ाने में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है ।
वे विभिन्न सामाजिक संगठन में सक्रिय सदस्य भी हैं, जिनमें इन्होंने विशेष रूप से महिलाओं को स्वावलंबी एवं सक्षम बनाने में समाज के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । वे स्तंभकार हैं एवं सामाजिक मुद्दों के संबंध में समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में नियमित रूप में लेखन कार्य भी करती हैं ।
पूर्व में प्राप्त विभिन्न पुरस्कार एवं मान्यताओं के अलावा, इन्हें, हाल ही में, वर्ष 2021 के दौरान, “डॉ. सरोजिनी नायडू इंटरनेशनल फॉर बेस्ट वर्किंग वूमेन पुरस्कार” प्रदान किया गया ।  
कंपनी के किसी भी अन्य निदेशकों से इनका कोई संबंध नहीं हैं एवं कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है ।
 
श्री दीपक आबासाहेब शिंदे
गैर-सरकारी (स्वतंत्र) निदेशक
श्री दीपक आबासाहेब शिंदे को दिनांक 28 अप्रैल 2022 से हमारी कंपनी के बोर्ड में गैर-सरकारी (स्वतंत्र) निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है ।

श्री शिंदे ने शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर से बीई (सिविल) एवं आईआईटी मद्रास से एम.टेक (सिविल, स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग) की शिक्षा पूरी की है ।

वर्ष 1981 में आईआईटी मद्रास से अपनी स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात, उन्होंने पारिवारिक कंपनी मिराज कांक्रीट वर्क्स में कार्य किया, जिसमें इन्होंने विभिन्न सिंचाई संबंधी पाइपलाइन प्रोजेक्ट को निष्पादित किया । इनको विभिन्न क्षेत्रों में 40 से भी अधिक वर्षों का अनुभव है एवं इन्होंने उक्त अवधि में विभिन्न प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को भी प्रोन्नत किया है । वे विभिन्न पदों पर व्यावसायिक, औद्योगिक, वित्तीय, शैक्षणिक एवं सामाजिक संगठनों से संबद्ध रहे ।
   
कंपनी के किसी भी अन्य निदेशकों से इनका कोई संबंध नहीं हैं तथा कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है ।
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी
कंपनी सचिव और अनुपालन अधिकारी
   श्री शैलेश बंसल, आयु 47 वर्ष, धौलपुर के राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के पूर्व छात्र हैं ।

 वे इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (एफसीएस 5064) के फेलो सदस्य हैं और साथ ही इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के एसोसिएट सदस्य भी हैं । वे इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड सेक्रेटरी एंड एडमिनिस्ट्रेटर्स, यूके से एक योग्य चार्टर्ड सचिव भी हैं ।

 उन्हें दिनांक 28 मार्च, 2023 से कंपनी सचिव एवं अनुपालन अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया     है ।
 
वे वर्ष 2014 से हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में संयुक्त कंपनी सचिव के पद पर कार्यरथ थे और दिनांक 1 नवंबर, 2022 से कंपनी के अनुपालन अधिकारी के रूप में नियुक्त किए गए थे ।

 उन्हें कंपनियों के समग्र कॉर्पोरेट मामलों के प्रबंधन में सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र दोनों में एक व्यापक अनुभव है ।

 उन्होंने 22 से अधिक वर्षों के अपने करियर के दौरान, कॉर्पोरेट लॉ एंड सेक्रेटेरियल मामले, आरबीआई, फेमा, ऑडिट, कॉस्टिंग, एमआईएस और बजटिंग मामलों से संबंधित दिन-प्रतिदिन के मामलों के प्रबंधन के अलावा, लगभग 4100 करोड़ रुपये के आईपीओ, 7800 करोड़ रुपये से अधिक के ओएफएस, उपक्रमों की बिक्री / हस्तांतरण / अधिग्रहण / विलगाव(डि-मर्जर), विदेशी संस्थाओं के साथ संयुक्त उद्यमों का गठन, यूके, मॉरीशस, हांगकांग और नीदरलैंड आदि से संबंधित कॉर्पोरेट कानूनों / कोड / विनियमों से संबंधित जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यों को सफलतापूर्वक प्रबंधन किया है ।   

 कंपनी के किसी भी निदेशक से इनका कोई संबंध नहीं है  एवं कंपनी में इनकी कोई शेयरधारिता नहीं है ।
 श्री सजल प्रकाश
मुख्य कार्यपालक अधिकारी (उपसाधन कांप्लेक्स)
  श्री सजल प्रकाश ने दिनांक 01 सितंबर 2019 से लखनऊ स्थित हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ-एसी) के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है । श्री सजल प्रकाश ने एचबीटीआई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री, आईआईटी चेन्नै से विमान उत्पादन अभियांत्रिकी में एम.टेक की स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की तथा आईआईएम, अहमदाबाद से नेतृत्व विकास कार्यक्रम पूरा किया ।

एचएएल के उपसाधन कॉम्प्लेक्स के सीईओ के रूप में, श्री सजल प्रकाश के पास उपसाधन प्रभाग-लखनऊ, एवियॉनिक्स प्रभाग-कोरवा (उ.प्र.), एवियॉनिक्स प्रभाग – हैदराबाद, स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्टरी – कासरगोड़ (केरल), परिवहन वायुयान प्रभाग – कानपुर एवं आगरा स्थित एचएएल डिटैचमेंट के प्रशासनिक नियंत्रण का संपूर्ण दायित्व है । लखनऊ, कोरवा, हैदराबाद एवं कासरगोड़ स्थित संस्थापनाएँ एरो-इंजनों सहित फिक्स्ड विंग एवं रोटरी विंग, दोनों विमानों हेतु उपसाधनों के विनिर्माण एवं मरम्मत /ओवरहॉल में संबद्ध हैं । टीएडी कानपुर प्रभाग एवं आगरा के एचएएल डिटैचमेंट परिवहन वायुयान के विनिर्माण एवं ओवरहॉल से संबद्ध है ।

श्री सजल प्रकाश ने वर्ष 1986 में मैनेजमेंट ट्रेनी (तकनीकी) (XXI बैच) के रूप में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में अपना कैरियर प्रारंभ किया । एचएएल में उनके 33 वर्षों के कार्यकाल के दौरान, सीईओ के रूप में उपसाधन कॉम्प्लेक्स में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व, उन्होंने एचएएल के विभिन्न प्रभागों एवं कार्यालयों में कार्य किया है, जिसमें टीएडी-कानपुर, एचएएल मुख्यालय एवं हेलिकॉप्टर प्रभाग, बेंगलूरु शामिल हैं ।

उक्त पद से पूर्व, वे एचएएल – परिवहन वायुयान प्रभाग, कानपुर के महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे । उनको परियोजना प्रबंधन, मार्केटिंग, व्यवसाय विकास, सिविल विमान एवं हेलिकॉप्टरों आदि विविध क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है । व्यापक एवं विविध अनुभव के साथ, श्री प्रकाश जटिल तकनीकी समस्याओं एवं सामरिक मामलों के संबंध में समाधान ढूँढने में सहायता प्रदान करते रहे हैं ।  इन्होंने महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है एवं सिविल डीओ-228 के विनिर्माण के माध्यम से भारत सरकार के ‘’मेक इन इंडिया’’ स्ट्रैटेजी के संबंध में विस्तृत योगदान भी किया है । अप्रचलन प्रबंधन हेतु स्वदेशीकरण प्रयासों के माध्यम से आत्म निर्भरता एवं स्वावलंबन में वृद्धि तथा उत्पाद-सुधार व लागत में कमी संबंधी वैकल्पिक प्रौद्योगिकी के विकास हेतु रोड-मैप तैयार किया है ।  

              इनके नेतृत्व में, परिवहन वायुयान प्रभाग ने सभी वित्तीय एवं वास्तविक मानदंडों के वार्षिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ साथ विभिन्न प्रकार की चुनौतियों को पूरा किया है तथा एक सशक्त प्रभाग के रूप में उभरा है । श्री प्रकाश ने अनेक ई-पहल कीं, जिनके कार्यान्वयन से प्रणाली परिवर्तन, पारदर्शिता एवं प्रक्रिया में सुधार देखे गए हैं ।
इन्होंने भारत एवं विदेश में व्यापक रूप से यात्रा की है । इनके पास वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय विमानन उद्योग के संबंध में अच्छी समझ है । वे पूर्णतः एक टीम प्लेयर हैं, जो टीम के समक्ष एक मिसाल कायम करते हैं तथा वे उत्कृष्ट संप्रेषण–कौशल के साथ एक जिज्ञासु पाठक भी हैं ।  

श्री प्रकाश एरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया आदि जैसे व्यावसायिक निकायों के सक्रिय सदस्य हैं तथा जुलाई 2017 से अगस्त 2019 तक की अवधि के लिए कानपुर शाखा (उत्तरप्रदेश एवं बिहार चैप्टर) (एईएसआई) के अध्यक्ष भी रहे हैं ।
श्री एस अन्बुवेलन
मुख्य कार्यपालक अधिकारी (हेलिकॉप्टर कांप्लेक्स)
 श्री एस अन्बुवेलन दिनांक 01 अक्टूबर 2020 से मुख्य कार्यपालक अधिकारी, हेलिकॉप्टर कॉम्प्लेक्स के रूप में नियुक्त हुए । वे अलगप्पाचेट्टियार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कराइकुडी, तमिलनाडु से मैकानिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं तथा आईआईटी मद्रास से एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में एम टेक स्नातकोत्तर डिग्री तथा एक्सआईएमई, बेंगलूर से बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त की है ।
श्री एस अन्बुवेलन ने दिनांक 21 जुलाई 1986 को 21 वीं बैच के मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में कार्यभार ग्रहण किया तथा एचएएल के साथ 34 वर्षों से संबद्ध रहे हैं । अधिशासी निदेशक, हेलिकॉप्टर प्रभाग के रूप में जुलाई 2020 को इनकी पदोन्नति हुई । पदोन्नति से पूर्व, श्री अन्बुवेलन ने एचएएल के विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर सेवा की है ।
हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेज में इनके कार्यकाल के दौरान इनकी उपलब्धियों में कुछेक हैं – एएलएच के इंटिग्रेटेड ट्रांसमिशन एसेंब्ली की प्रोडक्शनाइजिंग, एएलएच गियर बॉक्स के उत्पादन में गति लाना, एएलएच के विनिर्माण के दौरान त्रुटियों को कम करना, व्यक्तिगत विकास को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के प्रशिक्षण व विकास, आर 29 एवं आर 29बी के लिए वेब पोर्टल का उपयोग करते हुए बाह्यस्रोतन प्रबंधन, बैरकपुर में चीता एवं चेतक हेलिकॉप्टरों के आरओएच में गुणवत्ता सुधार आदि शामिल हैं । एएलएच उत्पादन को कारगर बनाना, हेलिकॉप्टर उत्पादों के विनिर्माण एवं एसेंब्ली के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रोद्योगिकियों का कार्यान्वयन आदि ।
श्री अन्बुवेलन ने ऑप्टिमाइजेशन, विनिर्माण, गुणवत्ता एवं आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के अंतिम प्रक्रिया में अत्यधिक विशेषज्ञता लाई है, जो हमारी कंपनी के लिए उत्पादन सक्षमता के उन्नत स्तरों में पहुँचने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम है ।
एचएएल उत्पादों एवं सेवाओं के बृहत पोर्टफोलियो के संबंध में इनकी अंतर्दृष्टि के साथ साथ विनिर्माण एवं उत्पादन में इनके विविधतापूर्ण नेतृत्व भारतीय रक्षा एवं सिविल हेलिकॉप्टर बाजार में अद्यतन विकास के लिए हेलिकॉप्टर कॉम्प्लेक्स को सहायता प्रदान करेगा ।
 
श्री साकेत चतुर्वेदी
मुख्य कार्यपालक अधिकारी (मिग कांप्लेक्स)
    श्री साकेत चतुर्वेदी एमआईटीएस ग्वालियर से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, मैनिट भोपाल से डिजिटल कम्यूनिकेशन में एम.टेक, मार्केटिंग में एमबीए हैं और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट आईपीएमए लेवल-सी प्रमाणित प्रोफेशनल हैं । वे एनर्जी इफिसिएंसी ब्यूरो द्वारा सर्टिफाइड एनर्जी मैनेजर होने के साथ-साथ एनर्जी ऑडिटर भी हैं । उन्होंने आईआईएम, अहमदाबाद से लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम पूरा किया   है ।
 
 उन्होंने वर्ष 2004 में एचएएल में कार्यभार ग्रहण कि. और नासिक में विभिन्न क्षमताओं एवं विभागों जैसे संयंत्र अनुरक्षण, आउटसोर्सिंग, मिग आरओएच, कारोबार विकास एवं परियोजनाओं में कार्य किया है। उन्होंने सीईओ (आईआरएएल) के रूप में एचएएल संयुक्त उद्यम, आईआरएएल (इंडो रशियन एविएशन लिमिटेड) का भी नेतृत्व किया और बाद में जुलाई 2020 में एयरक्राफ्ट ओवरहॉल प्रभाग, नासिक के महाप्रबंधक के रूप में पदभार भी संभाला।
 
 एयरक्राफ्ट ओवरहाल प्रभाग, नासिक के महाप्रबंधक के रूप में उनके नेतृत्व में, उन्होंने एसयू-30 एमकेआई विमान के आरओएच साइकल टाइम को कम करने की चुनौती ली और परियोजना प्रबंधन उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके 22 माह के निर्धारित साइकल टाइम के संबंध में 15 माह के साइकल टाइम को सफलतापूर्वक हासिल किया । इससे विमानों का त्वरित कायापलट सुनिश्चित हुआ जिससे विमान के कुल तकनीकी जीवन (टीटीएल) का प्रभावी उपयोग बढ़ा और जिससे भारतीय वायुसेना की संक्रियात्मक तैयारियों में वृद्धि हुई।
 
 वे सुखोई-30 एमकेआई विमानों के 40 प्रकार के गैर-मरम्मत योग्य एलआरयू के लिए मरम्मत प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास के आर्किटेक्ट रहें, जो आत्मनिर्भरता को मजबूत करने और सुखोई -30 आरओएच में आत्म निर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है ।
 
 वित्त वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 के लिए, उन्होंने एयरक्राफ्ट ओवरहॉल प्रभाग को प्रत्येक वर्ष लगातार 20 विमानों का उत्पादन करके क्रमशः 14 एवं 11 विमानों के सुखोई -30 आरओएच कार्य को न केवल प्राप्त करने के लिए ही नहीं, बल्कि उससे आगे बढ़ाने के संबंध में नेतृत्व किया। प्रभाग को वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के लिए लगातार "वास्तविक कार्य निष्पादन" श्रेणी के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रभाग के रूप में सम्मानित किया गया ।
 
 इसके अलावा, एरोनॉटिकल उद्योग की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने टीम का नेतृत्व किया और अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो 2022 को सफलतापूर्वक निष्पादित किया ।श्री साकेत चतुर्वेदी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मिग कॉम्प्लेक्स) एचएएल
  श्री साकेत चतुर्वेदी
 
 
 एमआईटीएस ग्वालियर से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक हैं, M.Tech मैनिट भोपाल से डिजिटल संचार में, विपणन में एमबीए और एक परियोजना प्रबंधन आईपीएमए स्तर-सी प्रमाणित पेशेवर हैं। वह ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा प्रमाणित ऊर्जा प्रबंधक सह ऊर्जा लेखा परीक्षक भी हैं। उन्होंने आईआईएम, अहमदाबाद से लीडरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम किया है। वह 2004 में एचएएल में शामिल हुए और नासिक में विभिन्न क्षमताओं और विभागों जैसे संयंत्र रखरखाव, आउटसोर्सिंग, मिग आरओएच, व्यवसाय विकास और परियोजनाओं में कार्य किया है। उन्होंने सीईओ (आईआरएएल) के रूप में एचएएल संयुक्त उद्यम, आईआरएएल (इंडो रशियन एविएशन लिमिटेड) का भी नेतृत्व किया और बाद में जुलाई 2020 में एयरक्राफ्ट ओवरहॉल डिवीजन, नासिक के महाप्रबंधक के रूप में पदभार संभाला। विमान ओवरहाल डिवीजन, नासिक के महाप्रबंधक के रूप में उनके नेतृत्व में उन्होंने एसयू-30 एमकेआई विमान के आरओएच चक्र समय को कम करने की चुनौती ली और परियोजना प्रबंधन उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग करके 22 महीने के निर्धारित चक्र समय के मुकाबले 15 महीने के चक्र समय को सफलतापूर्वक हासिल किया। इससे विमानों का त् वरित कायापलट सुनिश्चित हुआ जिससे विमान के कुल तकनीकी जीवन (टीटीएल) का प्रभावी उपयोग बढ़ा और भारतीय वायुसेना की संक्रियात्मक तैयारियों में वृद्धि हुई। वह एसयू-30 एमकेआई विमानों के 40 प्रकार के गैर-मरम्मत योग्य एलआरयू के लिए मरम्मत प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास के वास्तुकार थे, जो आत्मनिर्भरता को मजबूत करने और एसयू -30 आरओएच में आत्म निर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।    वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के लिए, उन्होंने एयरक्राफ्ट ओवरहॉल डिवीजन को प्रत्येक वर्ष लगातार 20 विमानों का उत्पादन करके क्रमशः 14 और 11 विमानों के एसयू -30 आरओएच कार्य को न केवल प्राप्त करने बल्कि पार करने के लिए प्रेरित किया। डिवीजन को वर्ष 2020-21 और 2021-22 के लिए लगातार "शारीरिक प्रदर्शन" श्रेणी के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले डिवीजन के रूप में सम्मानित किया गया। इसके अलावा, एयरोनॉटिकल उद्योग की क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने टीम का नेतृत्व किया और अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो 2022 को सफलतापूर्वक निष्पादित किया।

  
मुख्य कार्यपालक अधिकारी (बैंगलोर कांप्लेक्स)
श्री मिहिर कांति मिश्रा ने दिनांक 1 जुलाई 2022 से मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), बेंगलूर कॉम्प्लेक्स, हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के रूप में कार्यभार संभाला है । श्री मिश्रा 1987 बैच के मैनेजमेंट ट्रेनी है एवं संबलपुर विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं एवं आईआईटी मद्रास से एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में एम.टेक प्राप्त किए । इन्होंने कोरापुट, मुख्यालय, टीएडी कानपुर एवं एरोस्पेस प्रभाग में विभिन्न पदों पर कार्य किया है ।
 
सीईओ (बीसी) के रूप में इनकी नियुक्ति से पूर्व, श्री मिश्रा एचएएल स्पेस कारोबार इकाई, एरोस्पेस प्रभाग में महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे । इन्होंने भारतीय सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए सामरिक भागीदार के रूप में इसरो को सहायता करने के लिए टीम का नेतृत्व किया । इन्होंने क्रायो इंजन मैन्युफैक्चरिंग के लिए नई फेसिलिटीज की संस्थापना के माध्यम से तथा इंटिग्रेशन कार्यकलापों के साथ लॉन्चिंग वेहिकल के प्रारंभ से अंत तक वास्तविक रूप प्रदान करने के लिए मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चैन) में वृद्धि लाते हुए कारोबार विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी ।
 
श्री मिश्रा ने इंजन प्रभाग, कोरापुट में प्रोद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) के अंतर्गत मिग इंजनों के मैन्युफैक्चरिंग एवं एसेंब्ली में अपना कार्य प्रारंभ किया एवं तकनीकी कैसे-जाने के आमेलन व एकीकरण तथा मिग इंजनों के श्रृंखला उत्पादन के लिए मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया के प्रमाणन में भी कार्य किया । इन्होंने इंजन कल-पुर्जों के बिल्ड टू प्रिंट वर्क पैकेज के निर्यात में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी, जो ऐसे अवसरों की खोज में प्रभाग के लिए पहला अनुभव रहा ।
 
इन्होंने नैगम निर्यात विपणन कार्य में दायित्व को बढ़ाने की भूमिका भी अदा की थी, जिसमें इन्होंने कंपनी के विपणन सामरिक नीति एवं कारोबार विकास संबंधी पहल, नई विपणन प्रोन्नति एवं वैश्विक उपस्थिति को बढ़ाने के लिए औद्योगिक सहायता हेतु उत्तरदायी रहे । इन्होंने मित्र देशों के लिए हेलिकॉप्टर एवं डॉर्नियर विमान दोनों के कई प्लेटफार्मों के निर्यात के साथ निर्यात कारोबार के विकास में प्रमुख भूमिका निभायी । इन्होंने डॉर्नियर डीओ-228 विमान के सिविल वर्जन के प्रारंभ के साथ-साथ रिकार्ड समय में इनके प्रमाणन के लिए परियोजना प्रबंधक के रूप में विशेष कार्य को भी सफलतापूर्वक पूरा किया ।
 
एचएएल में 35 से भी अधिक वर्षों के इनके अनुभव में इंजन, एयरक्राफ्ट, स्पेस कारोबार क्षेत्र के साथ-साथ नैगम कार्य के अंतर्गत विनिर्माण, एसेंब्ली, अभियांत्रिकी, सामरिक नीति, परियोजना प्रबंधन एवं अंतर्राष्ट्रीय विपणन को बढ़ाने की भूमिका भी शामिल हैं ।