सन् 1960 में स्थापित एरो इंजन अनुसंधान व विकास केंद्र गैस टर्बाइन इंजन के अभिकल्पन व विकास का कार्य करता है। इसके द्वारा रक्षा सेवाओं के लिए छोटे एरो इंजन का सफलतापूर्वक अभिकल्पन व विकास किया गया है। केंद्र के पास कुछ महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के पेटेंट व कॉपीराइट भी हैं।
केंद्र द्वारा 1965 में प्रथम जेट इंजन परियोजना के रूप में हिन्दुस्तान जेट इंजन (एचजेई- 2500) का अभिकल्पन व विकास पूरा किया गया जो एचजेटी – 16 एयरक्राफ्ट के लिए प्रस्तावित था। बाद में, पिस्चन इंजन तथा न्यूमैटिक स्टार्टर एवं हाइड्रॉलिक पम्प जैसे अन्य इंजन उपस्करों का विकास किया गया। यह एकमात्र अभिकल्प केंद्र है जहाँ पश्चिमी तथा रूसी मूल के इंजनों के लिए टेस्ट बेड का विकास किया गया है।
एईआरडीसी द्वारा मध्यम थ्रस्ट श्रेणी वाले एयरक्राफ्ट में प्रयोग के लिए टर्बो फैन इंजन एचटीएफई-25 इंजन तथा हेलिकॉप्टरों में प्रयोग के लिए टर्बो शैफ्ट इंजन एचटीएसई-1200 के अभिकल्प व विकास का कार्य कर रहा है।
- पायलट रहित लक्ष्य विमान के लिए इंजन
- गैस टरबाइन स्टार्टर यूनिट जीटीएसयू -110
- शक्ति इंजन का सह-विकास
- गैस टरबाइन स्टार्टर यूनिट जीटीएसयू -135
- हॉक विमान के लिए वायु उत्पादक
- गैस टरबाइन इलेक्ट्रिक जेनरेटर (जीटीईजी -60)
- एयर टर्बाइन व्हील (एटीडब्ल्यू)
- एयर टरबाइन स्टार्टर (एटीएस)
- इंजन टेस्ट बेड
केंद्र को विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, सैन्य वायुमंडल और प्रमाणन केंद्र द्वारा आर एंड डी केंद्र के रूप में अनुमोदित किया गया है। केंद्र की गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली एरोस्पेस मानक एएस 9100 सी और एएफक्यूएमएस को महानिदेशालय, एरोनॉटिकल गुणवत्ता आश्वासन द्वारा मान्यता प्राप्त है।